न्यूज़ पोर्टल(News Portal) चलाने वाले पत्रकारों के संदर्भ में बहुत सारे सवाल अक्सर चर्चा का विषय बन जाते हैं। बहुत सारी ऐसी बाते हैं जो न्यूज़ पोर्टल संचालको(News Portal Operators) को पता ही नहीं है। आइए उन सवालों और बातों को जान लेते हैं।
- क्या न्यूज़ पोर्टल चलाने वाले पत्रकारों को सरकारी सुविधाएं मुहैया होनी चाहिए?
- क्या उनके टोल टैक्सेस माफ किए जाने चाहिए?
- क्या उन्हें रेलवे जैसी सरकारी संस्थाओं में रियायतें मिलनी चाहिए?
- क्या उन्हें अन्य शासकीय दफ्तर एवं कार्यालयों में अपने दायरे का लाभ उठाना चाहिए?
पत्रकारों के प्रकार
असल पत्रकारिता के वृहद क्षेत्र क्षेत्र में चाहें वो अखबार के प्रकाशक(News Publishers In India) हो या न्यूज़ पोर्टल के संचालक; कुल 2 प्रकार के पत्रकारों का वर्णन किया गया है।
- अधिमान्य पत्रकार(Accredited journalist)
- गैर-अधिमान्य पत्रकार(Non-Accredited journalist)
किसे मिलता है सरकारी सुविधाओं का लाभ?
पूरी तरह से यह बात स्पष्ट है कि सरकारी मानक मापदंडों(Government Guidelines) को पूरा करने वाले समस्त अधिमान्य पत्रकारों को यह सुविधाएं मुहैया कराई जाती है जिसमें;
- टोल टैक्स में रियायत
- शासकीय उपचार में रियायत
- शासकीय संस्थाओं में रियायत
- रेलवे की यात्राओं में रियायत
- अन्य तमाम रियायतें जो शासन द्वारा प्रदान है।
सभी सुविधाएं सिर्फ अधिमान्य पत्रकारों को शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रदान किया गया है जो कि कोई भी गैर-अधिमान्य पत्रकार प्राप्त नहीं कर सकता।
प्रेस आईडी जारी करने से पहले ध्यान दें
अक्सर यह देखा गया है कि बहुत सारे न्यूज़ पेपर, इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया, न्यूज़ पोर्टल और न्यूज़ वेबसाइट मीडिया(News Media) से सम्बंध रखने वाले संगठन और कम्पनियां, राज्य शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी अधिमान्य पत्रकारों के परिचय-पत्र से मिलते-जुलते परिचय-पत्र जारी कर रहे हैं। कई सारे वेब पोर्टल और न्यूज़ पोर्टल के संचालक खुद को उसी पहचान पत्र के धौंस पर सरकारी सुविधाएं मुहैया करवाने का प्रयास करते हैं।
कौन है अधिमान्य पत्रकार?
अधिमान्य पत्रकार बनने की सारी गतिविधियों के अपने दायरे होते हैं जो राज्य के जनसंपर्क कार्यालय द्वारा तय किए जाते हैं। इस लेख में हम चर्चा करने वाले हैं उन पत्रकारों के बारे में जिन्हें सरकारी सुविधाएं प्राप्त होती है साथ ही ऐसे न्यूज पोर्टल के संचालक जिनके पास यह अधिकार नही है कि वे उन सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा सकें।
अवैध है खुद को बिना अधिमान्यता के अधिमान्य पत्रकार कहना
बिना राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग से अनुमति लिए अधिमान्य पत्रकार के तर्ज पर पहचान उतर ज़ारी करना पूरी तरह से अवैध और नियम के विरुद्ध है। अगर वह ऐसा किया जाता तो शासन के नियमों की अवहेलना के लिए आपको अप्रिय स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
यह है अधिमान्य पत्रकार बनने के दायरे
- अधिमान्यता का परिचय पत्र जनसंपर्क विभाग द्वारा विभिन्न पात्रता और प्रक्रियाओं के बाद ही जारी किया जाता है।
- इस नियम में राज्य शासन के अधिमान्य पत्रकारों के परिचय-पत्र के उपयोग के संबंध में भी उल्लेख है।
- नियम में कहा गया है कि यह परिचय-पत्र विभिन्न शर्तों के तहत प्रदान किया जाता है।
- पत्रकारिता के कार्य में अव्यवस्था अथवा असम्मानजनक तरीके से व्यवहार करने पर गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेकर अधिमान्यता समाप्त की जा सकती है।
- असत्य, अपूर्ण तथा भ्रामक जानकारी देने पर भी अधिमान्यता निरस्त करने का अधिकार जनसंपर्क विभाग को है।
- प्रेस तथा रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट्स 1867(Press and Book Registration Act) के उपबंधों का पालन भी अधिमान्य पत्रकारों को करना अनिवार्य है।
- इसका उल्लंघन पाए जाने पर भी उस समाचार-पत्र से संबंधित पत्रकारों की अधिमान्यता निरस्त की जा सकती है।
अगर आप गैर-अधिमान्य पत्रकार हैं तब क्या करें?
अगर आप न्यूज पोर्टल के माध्यम से पत्रकारिता(Journalism Via News Portal) कर रहें हैं एवं गैर अधिमान्य पत्रकार हैं तो शासकीय मानकों को अपनाते हुए अपना कार्य करें। सरकार आपको आपके अनुभव और आपके न्यूज़ पोर्टल में आने वाले विजटर्स के आधार पर अधिमान्य पत्रकार होने का दर्जा प्रदान कर देगी। बस आप अधिमान्य पत्रकार बनने के दायरे को पूर्ण करने के बाद जनसंपर्क कार्यालय को इसकी सूचना प्रदान करें।