आचार संहिता में न्यूज पोर्टल पत्रकार कवरेज कैसे करें?: चुनावी दौर की शुरुआत होते ही आचार संहिता की बातें होने लग जाती है, जिसमे आचार संहिता की तारीख तय की जाती है और उस दरमियान चुनाव आयोग द्वारा चुनावी प्रचार प्रसार सम्बंधित नियम और कानून लागू कर दिए जाते है।
आचार संहिता क्या है?
हमारे देश भारत में या किसी भी देश में जब भी चुनाव होते हैं, तो उस दौरान कुछ नियम व कानून लागू किये जाते हैं जिसका पालन देश में मौजूद सभी राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों एवं कार्यकर्ताओ को करना ही पड़ता है, ऐसे नियमों को लागू करके ही देश में चुनाव सही तरीके से हो पाते हैं, इस नियम और कानून को ही आदर्श आचार संहिता कहते है।
आदर्श आचार संहिता चुनाव के दौरान लागू किया जाने वाला एक तरह का दिशा निर्देश होता है जिसमे यह बात तय होता है कि राजनीतिक दलों को चुनाव के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है।
गौर करने वाली बात यह है कि आदर्श आचार संहिता एक कानून के रूप में, संसद में पेश करके नहीं बनाया गया है बल्कि यह सभी राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलकर, सभी पार्टियों को गाइड करने के लिए आपसी सहमति से बनाया गया एक नियम है।
इसका भारत के संविधान में कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है और न ही इस पर कोई कानून पास किया गया है।
चुनाव आचार संहिता कौन लागू करता है?
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि चुनावी आचार संहिता को चुनावी कार्यक्रमो के लिए जिम्मेदार आयोग अर्थात चुनाव आयोग द्वारा मतदान कार्यक्रम की घोषणा वाले दिन से लागू किया जाता है, और अधिसूचना के अनुसार आचार संहिता चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने और उसके बाद परिणाम की घोषणा होने तक जारी रहती है। सामान्य शब्दो मे कहे तो यह कुल मिलाकर लगभग 45 दिन या 2 महीने तक सभी राजनीतिक पार्टियों और ‘केयरटेकर’ गवर्नमेंट के ऊपर लागू होता है।
आचार संहिता क्यों लागू किया जाता है?
अपने पाठको को हम बता दे कि हमारे संविधान के ‘अनुच्छेद 324’ के तहत चुनाव आयोग को कुछ अधिकार दिए जाते हैं, ताकि वे देश में केंद्र या राज्य दोनों स्तर पर राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव आयोजित कर सकें, इसके अलावा उन्हें ‘रिप्रजेंटेशन ऑफ़ द पीपल एक्ट’ के तहत भी कुछ अधिकार दिए गये हैं।
असल में चुनाव को निष्पक्ष तरीके से आयोजित करने के लिए चुनाव आयोग के पास कुछ शक्ति होना जरूरी थी इसलिए सभी पार्टियों के साथ चुनाव आयोग ने मिलकर कुछ नियम निर्धारित किये जिसे आचार संहिता नाम दिया गया था।
इसमें यदि कोई राजनीतिक पार्टी द्वारा विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाओं के बीच आपसी विरोध पैदा होता है या दंगे जैसी गतिविधियां होती है, तो उनके खिलाफ कार्यवाही करने का अधिकार भी चुनाव आयोग को मिल जाता है।
आचार संहिता के दौरान गतिविधियाँ
चुनावी अचार संहिता के दौरान जो परिवर्तन हमे देखने को मिलता है उसे निम्न तरीके से हम समझ सकते है एवं न्यूज पोर्टल पत्रकारों को भी इन परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए अपनी पत्रकारिता करनी चाहिए।
- राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों के अधिकारिक काम को चुनाव प्रचार या चुनाव से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. उदाहरण के लिए, एक पदधारी सांसद या विधायक को एक सांसद या विधायक की क्षमता में एक कार्यक्रम में भाग नहीं लेना चाहिए, और न ही चुनाव प्रचार के लिए मंच का उपयोग करना चाहिए।
- चुनाव प्रचार के लिए भाषण, गीत या पोस्टर के रूप में पूजा स्थलों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.
- एक बार आचार संहिता लागू हो गई, उसके बाद, वित्तीय सहायता / राहत की घोषणा करने, प्रोजेक्ट की आधारशिला रखने और किसी भी कल्याणकारी योजना का वादा करने पर प्रतिबंध लागू हो जाते हैं. हालांकि योजनायें जोकि अंतिम चरण हैं, उसका उद्घाटन राजनीतिक नेताओं और समारोहों के बिना किया जा सकता है।
- चुनाव की घोषणा की तारीख से, सार्वजनिक करने वाले प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सरकारी खजाने की कीमत पर सरकार की उपलब्धियों का कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया जाना चाहिए।
- किसी भी राजनीतिक नेता या राजनीतिक पार्टी की उपलब्धियों को पेश करने वाले सभी होर्डिंग और विज्ञापन, जिस पर उनकी फोटो, नाम या पार्टी का प्रतीक प्रदर्शित होता है, यह सरकारी खजाने की कीमत पर होता है. अतः इसे चुनाव की घोषणा होते ही तुरंत हटा दिया जाना चाहिए।
- आचार संहिता के दौरान, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और अन्य पार्टी पदाधिकारी जो सार्वजनिक जीवन में सक्रीय हैं, और चुनाव भी लड़ रहे हैं, उनकी तस्वीरें सरकारी भवनों या परिसरों में प्रदर्शित नहीं की जानी चाहिए।
- आचार संहिता उन संगठनों पर भी लागू होता है, जो स्वभाव से राजनीतिज्ञ नहीं है, लेकिन फिर भी किसी विशेष राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार का प्रचार करते हैं. संगठन को इस तरह के कार्यक्रम के लिए पहले से लिखित अनुमति लेनी चाहिए, जिसमें इस तरह के आयोजन पर होने वाले खर्च की जानकारी हो और उसे वही जिला निर्वाचन अधिकारी को प्रस्तुत करना चाहिए।
- रात 10 से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर्स के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगाया जाता है।
- कुछ चुनावी अपराध जैसे कि रिश्वतखोरी, नरसंहार, मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में मतदाताओं को धमकी देना उन्हें डराना, मतदान के समय से 48 घंटे के अंदर सार्वजनिक बैठकें करना और मतदाता को मतदान केन्द्रों में लाना और वापस छोड़ना आदि पर प्रतिबन्ध लगाया जाता है।
- किसी भी प्रचार सामग्री का उपयोग उन स्थानों पर नहीं किया जाना चाहिए, जहाँ पहचान की पर्ची मतदान के दिन मतदान केन्द्रों के पास वितरित की जाती है. प्रचार सामग्री में पोस्टर, फ्लायर्स, नोटिस, वॉल पेंटिंग्स, पिक्चर्स, ऑडियो या वीडियो कंटेंट, पार्टी या उम्मीदवार के चित्र वाली कलाकृतियाँ आदि शामिल होती हैं।
- मतदान की तारीख और मतगणना का दिन आने के 2 दिन पहले से यानि 48 घंटे पहले से शराब की दुकानें बंद होनी चाहिए. चुनाव के दौरान शराब का वितरण पूरी तरह निषेध होता है।
- चुनाव प्रचार के दौरान उम्मीदवारों एवं उनके समर्थकों द्वारा की जाने वाली रैलियों या रोड शो में सड़क यातायात में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आनी चाहिए।
आचार संहिता में न्यूज पोर्टल पत्रकार कवरेज कैसे करें?
बेशक न्यूज पोर्टल के माध्यम से की जाने वाली पत्रकारिता ही क्यों न हो, परन्तु एक न्यूज पोर्टल पत्रकार को पत्रकारिता की सीमा क्या है यह जानना अनिवार्य है।
पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है। पत्रकारिता एक जिम्मेदारी भरा कार्य होता है, जिसे सही ढंग से पूर्ण करना होता है इसलिए हर पत्रकार को अपनी खबरो से समाज और देश को लेकर चौकन्ना रहना चाहिए।
एक छोटी सी गलती पत्रकार और उसके पत्रकारिता संस्थान पर भारी पड़ सकती है और उसकी गरिमा को ठेस पंहुचा सकती है इसलिए पत्रकारिता की भी एक सीमा रेखा होती है जिसे हम पत्रकारिता का आचार संहिता भी कह सकते हैं।
उदाहरण के लिए टीवी पर या अखबार में रेप पीड़िता का नाम, फोटो या उससे संबंधी किसी भी जानकारी को प्रकाशित या प्रसारित करना अपराध की श्रेणी में आता है, इस मामले में पत्रकारिता संस्थान और पत्रकार पर कार्रवाई भी हो चुकी है। अत: हर पत्रकार को अपनी सीमा का ध्यान रखना चाहिए;
आचार संहिता में कवरेज
पत्रकारिता की आचार संहिता को निम्न तरीके से हम समझ सकते है जो कि चुनावी आचार संहिता के दौरान किए जाने वाले कवरेज में भी लागू होती है;
- पत्रकार को किसी भी विचारधारा से प्रभावित होकर खबर का प्रकाशन या प्रसारण नहीं करना चाहिए।
- पत्रकार को हर समय न्यायनिष्ट और निष्पक्ष रहना चाहिए।
- पत्रकार के पास सारी जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए
- खबर की मूल आत्मा के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।
- खबर जो है ठीक वैसे ही पेश करना चाहिए।
- समाचारों में तथ्यों को तोडा मरोड़ा न जाये न कोई सूचना छिपायी जाये।
- किसी के सम्मान को ठेस न पहुंचे
- व्यावसायिक गोपनीयता का निष्ठा से अनुपालन का ध्यान रखना चाहिए।
- पत्रकार अपने पद और पहुंच का उपयोग गैर पत्रकारीय कार्यों के लिए न करें।
- प्राय: ऐसा देखा जाता है कि कई बार ट्रैफिक नियम का पालन ना करने पर जब पत्रकार को दंडित किया जाता है तो वह खुद को प्रेस से बताकर अपने पद का दुरुपयोग करता है।
- पत्रकारिता पर कई बार पेड न्यूज जैसे दाग लग चुके हैं अत: पत्रकारिता की मर्यादा का ध्यान रखते हुए एक पत्रकार को रिश्वत लेकर समाचार छापना या न छापना अवांछनीय, अमर्यादित और अनैतिक है।
निजी जीवन के सम्बंधित प्रकाशन के पत्रकारिता की आचार संहिता।
- किसी के व्यक्तिगत जीवन के बारे में अफवाह फैलाने के लिए पत्रकारिता का उपयोग नहीं किया जाये।
- प्रकाशन के पूर्व पर्याप्त समय सीमा के तहत पीड़ित पक्ष को अपना जवाब देने या खंडन करने का मौका दें और उनकी बात सुने।
- किसी व्यक्ति के निजी मामले को अनावश्यक प्रचार देने से बचें।
- किसी खबर में लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए उसमें अतिश्योक्ती डालने से बचें।
- निजी दुख वाले दृश्यों से संबंधित खबरों को मानवीय हित के नाम पर आंख मूंद कर न परोसा जाये।
- मानवाधिकार और निजी भावनाओं की गोपनीयता का भी महत्व रखें।
धार्मिक विवाद और यौन अपराध का कवरेज करते वक्त पत्रकारिता की आचार संहिता।
- धार्मिक विवादों पर लिखते समय सभी संप्रदायों और समुदायों को समान आदर दिया जाना चाहिए।
- अपराध के मामलो में विशेषकर सेक्स और बच्चों से संबंधित मामले में यह देखना जरूरी है कि कहीं रिपोर्ट ही अपने आप में सजा न बन जाये और किसी जीवन को अनावश्यक बर्बाद न कर दे।
FAQ: क्या किसी का स्टिंग ऑपरेशन करना जायज है?
चोरी छिपे सुनकर अथवा फोटो लेकर या किसी गुप्त यंत्र का सहारा लेकर ,किसी के निजी टेलीफोन पर बातचीत को पकड़ कर, अपनी पहचान छिपा कर या चालबाजी से सूचनाएं प्राप्त करना स्टिंग ऑपरेशन कहलाता है जो पत्रकारिता के आचार संहिता में नहीं किया जाना चाहिए; सिर्फ जनहित के मामले में ही ऐसा करना उचित है और सूचना प्राप्त करने का कोई और विकल्प न बचा हो तो ऐसा किया जाये।
डिजिटल प्रकाशन के वक्त पत्रकारिता का आचार संहिता;
- खबर, विजुअल या ग्राफिक्स में रेप पीड़िता का नाम, फोटो या किसी तरह का कोई पहचान ना हो, फोटो को ब्लर करवाकर इस्तेमाल किया जा सकता है।
- न्यायालय को इस देश में सर्वश्रेष्ठ माना गया है इसलिए न्यायालय की अवहेलना नहीं होनी चाहिए।
- देश हित एक पत्रकार की प्राथमिकता होती है अत: पत्रकार को देश के रक्षा और विदेश नीति के मामले में कवरेज करते वक्त देश की मर्यादा का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।
- न्यायालय जब तक किसी का अपराध ना सिद्ध कर दे उसे अपराधी नहीं कहना चाहिए इसलिए खबर में उसके लिए आरोपी शब्द का इस्तेमाल करें।
- अगर कोई नाबालिग अपराध करता है तो उस आरोपी का विजुअल ब्लर करके ही चलाना चाहिए।
निष्कर्ष
तो आज के इस आर्टिकल में हमने जाना कि आचार संहिता में न्यूज पोर्टल पत्रकार कवरेज कैसे करें? आज हमने जाना कि असल मे आचार संहिता क्या होती है और उसे लागू करने के पीछे का उद्द्येश्य क्या होता है, साथ ही हमने यह भी जाना कि सिर्फ आचार संहिता के दौरान ही नहीं, हर वक्त की जाने वाली पत्रकारिता में एक पत्रकार के लिए असल दायित्व क्या होता है। इस तरह आज हमने आचार संहिता के दौरान एक पत्रकार द्वारा की जाने वाली कवरेज के सम्बंधित जानकारी को प्राप्त किया।