किन-किन जगहों पर पत्रकार कवरेज नहीं कर सकते?

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किन-किन जगहों पर पत्रकार कवरेज नहीं कर सकते?: अगर आप न्यूज पोर्टल के माध्यम से अपनी पत्रकारिता प्रारम्भ कर चुके है तो आपको यह लेख पढ़ना बेहद जरूरी है क्योकि हम आगे आपको बताएंगे कि आपको पत्रकारिता कहाँ नहीं करनी है अथवा किन जगहों पर आपको पत्रकारिता करने से बचना चाहिए क्योंकि यह तो सच है कि भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों में अनुच्छेद 19(1)(a) में पत्रकारों को अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता की व्यवस्था दी गयी है, प्रेस की आज़ादी उसी से निकलती है।

किन-किन जगहों पर पत्रकार कवरेज नहीं कर सकते?
किन-किन जगहों पर पत्रकार कवरेज नहीं कर सकते?

परन्तु संविधान संशोधन के बाद अनुच्छेद 19 (1) और अनुच्छेद 19 (2) के अस्तित्व में आने के बाद पत्रकारिता की सीमाएं तय कर दी गयी।

FAQ:- क्या है अनुच्छेद 19(2) ?

भारतीय संविधान संसोधन के बाद अस्तित्व में आए अनुच्छेद 19(2) के अनुसार लिखा है कि;

“अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार के प्रयोग पर भारत की प्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, लोक व्यवस्था, शिष्टाचार या सदाचार के हितों में अथवा न्यायालय-अवमान, मानहानि या अपराध-उद्दीपन के संबंध में युक्तियुक्त निर्बंधन जहां तक कोई विद्यमान विधि अधिरोपित करती है वहां तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या वैसे निर्बंधन अधिरोपित करने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निवारित नहीं करेगी।”

अगर आसान शब्दों में इसे समझे तो प्रेस की आज़ादी का मतलब कुछ भी या कहीं भी लिखने या बोलने की आज़ादी नहीं है, अभिव्यक्ति की आजादी का अर्थ किसी के निजता पर आक्रमण करना नहीं होता है। नैतिक नीतिगत ऐसी कई बातें है जो एक पत्रकार को उनके कवरेज को लेकर चुनौती देती है और उन जगहों या तथ्यों पर कवरेज करने से रोकती है।

इस लेख में आगे हम इन्ही बातों को पढ़ेंगे जिससे हमें यह जानकारी होगी कि एक पत्रकार किन-किन बातों,जगहों और तथ्यों पर कवरेज नहीं कर सकता है अन्यथा उन्हें कानूनी तकलीफों का सामना कर सकता है।

किन-किन जगहों पर पत्रकार कवरेज नहीं कर सकते?

राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े स्थान

देश मे घटने वाली हर घटना का कवरेज कर के लोगो तक पहुँचाने की जिम्मेदारी बेशक पत्रकारिता की नीतियों में आती है परन्तु एक पत्रकार को यह भी पता होना चाहिए कि ऐसी कवरेज भी हमे नही करना है जो राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर खतरा उत्पन्न कर सके, जैसे सैन्य हथियार के बेस, सैन्य ठिकाने अथवा किसी भी एयर बेस, आर्मी बेस की जगहों पर बिना विशेष अनुमति के कवरेज करने की मनाही है।

निजी संस्थान

किसी भी निजी संस्थान प्राइवेट अस्पताल या प्राइवेट कंपनी, उनमें भी बिना अनुमति के कवरेज करना, उस संस्थान के मालिक के निजता के अधिकार का ख़िलाफ़त करती है।

बेशक आप पत्रकार होने के नाते अपने अधिकारों के अनुरूप कही भी पत्रकारिता कर सकते है पर आप किसी निजी संस्थान में तब तक कवरेज नहीं कर सकते जब तक आपके पास उस निजी संस्थान के मालिक की अनुमति नहीं है अन्यथा कानूनी दायरे में, निजता के अधिकार के हनन का पक्ष ज्यादा मजबूत होगा।

कामकाजी सरकारी कार्यालय।

ऐसे सरकारी कार्यालय जहाँ पर जनहित के सम्बंधित सभी कामकाज लगातार होते रहे, उन स्थानों पर बिना अनुमति कवरेज करने से सरकारी काम मे अवरोध पैदा होने का आप पर न्यायिक मुकदमा दर्ज हो सकता है।

अतः किसी भी कामकाजी सरकारी कार्यालय में कवरेज करने से पहले अनुमति प्राप्त कर लेवे।

दुर्लभ स्थान

ऐसे दुर्लभ स्थान जहाँ के स्मारक, अवशेष या तस्वीरों के प्रकाशन पर स्थानीय शासन या प्रसाशन ने रोक लगा रखा है उन स्थानों पर आप बिना किसी विशेष अनुमति के कवरेज नही कर सकते है।

इसके पीछे भी निजता की रक्षा का ही उद्द्येश्य है। जिसकी वजह से पत्रकारिता की कवरेज पर रोक रहती है।

कारागृह या जेल

किसी भी कारागृह या जेल की कवरेज करने पर पूरी तरह से रोक होती है क्योंकि काफी सारे सुरक्षा के दृष्टिगत नियमो का इसमें हनन होता है।

अगर पत्रकार को जेल में किसी कैदी का कवरेज करना या इंटरव्यू भी लेना है तो उसके लिए हमने अलग से एक आर्टिकल लिखकर तैयार कर रखा है, जिसे आप पढ़ सकते हैं।

फाँसी की सजा का कवरेज

अगर किसी कैदी को मृत्यु दंड मिला हुआ है , उसे फाँसी की सजा मिली हुई है तो उसकी सजा को देते वक्त कवरेज करने की मनाही है। आप उस फांसी की सजा को पुलिसिया प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर प्रकाशित कर सकते है परन्तु बिना विशेष अनुमति उस स्थान पर मौजूद रहकर उस सजा को रिकॉर्ड नहीं कर सकते।

यह उस कैदी के मानवाधिकार के उल्लंघन के दायरे में आएगा।

विशेष न्यायिक मामले

अमूमन पत्रकारो के अधिकारों के अधीन न्यायालयीन प्रक्रियाओं का कवरेज होता है।

मगर कुछ ऐसे मामले जिनसे शांति भंग होने का भय होता है उन मामलों में पत्रकारों को कवरेज करने की मनाही होती है तथा उस दरमियान पत्रकारो न्यायलय में प्रवेश करना वर्जित होता है।

स्त्री की निजता भंग होने वाली जगह

किसी सामान्य (प्रकाशन योग्य) मामले में भी यदि किसी स्त्री अपराध (बलात्कर हत्या सम्बंधित) का जिक्र आता है तो उन मामलों में स्त्री की निजता का प्रकाशन का जिक्र करना पत्रकारिता के नियमो के दायरे के पूरी तरह से बाहर है।

अतः पत्रकारों को अमूमन अपने मामलों में गैर आवश्यक हर मामलों में स्त्री की निजता के प्रकाशन से बचना चाहिए।

निष्कर्ष

तो आज के इस आर्टिकल में हमने जाना कि किन-किन जगहों पर पत्रकार कवरेज नहीं कर सकते? अतः उन दर्शाए गए स्थानों का कवरेज करने से स्वतः भी हर पत्रकार को बचना चाहिए।

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